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कल हमारे दर पर वो आई जिसका इंतज़ार रेहता था हमें,

कल हमारे दर पर वो आई जिसका इंतज़ार रेहता था हमें, 
और आते ही हमसे लगकर रोने लगी, 
हमारे बिना कुछ पूछे ही कहने लगी
"महज़ ज़िस्म हमारा ज़िदा है हम तो मर चुके हैं" l
हमारी आँखों से भी अश्क छलके, और हमने मुस्कुरा कर कहा-
समझ सकते हैं क्योंकि हम भी इस इश्क़ से गुज़र चुके हैं ll

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