उथली पुथली शोर मची थी बातों की, मन ही मन मुस्काए निहारे वो प्यारी । चहल पहल थी लोगों में घर जाने की, छान के मिश्री घोल पिलाये वो प्यारी ।। अंतर से कोमल कलियों की क्यारी थी, धुने महक महकाए निखारे वो प्यारी । कंधे थे बोझिल परबस फ़ुलवारी थी, सुने समझ समझाए विचारे वो प्यारी ।। शहरी जीवन की आपाधापी में बस अथवा मेट्रो से घर वापसी का एक लघु चित्रण.. #travel #cityofdreams #yqhindi #yqdidi #busylife #yqdiary #freshthoughts #infinitewriter