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वो बार बार चोट खाने की बात कर रहा है, इक चट्टान आज

वो बार बार चोट खाने की बात कर रहा है,
इक चट्टान आज टूट जाने की बात कर रहा है।
जिस शख्स को लगता है अंधेरों से डर बहुत,
वो आज, चराग बुझाने की बात कर रहा है।
धुंधली ही सही, मंजिल दिखने लगी थी मुझको
मगर अब रस्ता लौट जाने की बात कर रहा है।
जिसको सिरहाने रखकर वो सुकून से सोता था
वो आज हर तस्वीर जलाने की बात कर रहा है।
किसी गम की बिसात क्या के मुझे गमजदा करे
मगर वो शख्स,मुझे रुलाने की बात कर रहा है
सिलवटें खूब पड़ीं थी लिपटकर वो ऐसा रोया था
मेरा कुर्ता, फिर से भीग जाने की बात कर रहा है।
वो पागल अपना-पराया, मैं-हम का फ़र्क न कर सका
जो अपने ही कातिल से दिल लगाने की बात कर रहा है #इकचट्टानआजटूटजानेकीबातकरताहै #nojoto #nojohindi #ghazal #epicshayari #kavishaala #alokgargkumarshukla
वो बार बार चोट खाने की बात कर रहा है,
इक चट्टान आज टूट जाने की बात कर रहा है।
जिस शख्स को लगता है अंधेरों से डर बहुत,
वो आज, चराग बुझाने की बात कर रहा है।
धुंधली ही सही, मंजिल दिखने लगी थी मुझको
मगर अब रस्ता लौट जाने की बात कर रहा है।
जिसको सिरहाने रखकर वो सुकून से सोता था
वो आज हर तस्वीर जलाने की बात कर रहा है।
किसी गम की बिसात क्या के मुझे गमजदा करे
मगर वो शख्स,मुझे रुलाने की बात कर रहा है
सिलवटें खूब पड़ीं थी लिपटकर वो ऐसा रोया था
मेरा कुर्ता, फिर से भीग जाने की बात कर रहा है।
वो पागल अपना-पराया, मैं-हम का फ़र्क न कर सका
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