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•| फाइनल बैटल |• मेरी प्रेरणा - अमृता प्रीतम तेर

•| फाइनल बैटल |•

मेरी प्रेरणा - अमृता प्रीतम

तेरा मिलना ऐसे होता है
जैसे कोई हथेली पर
एक वक़्त की रोजी रख दे।।
 •| फाइनल बैटल |•
मेरी प्रेरणा - अमृता प्रीतम

कोट :-

ये सिलसिला आज से करीब 77 बरस पहले शुरू हुआ था। बात 1944 की है। जब उस वक्त बड़ी तेजी से उभर रहे शायर साहिर लुधियानवी पहली बार लेखिका अमृता प्रीतम से मिले थे। जगह थी लाहौर और दिल्ली के बीच स्थित प्रीत नगर। किस्मत का फेर देखिए कि मोहब्बत के इस अफसाने का आगाज ऐसी जगह से हुआ जिसका नाम ही प्रीत नगर यानी प्यार की नगरी था।

साहिर जुनुनी और आदर्शवादी थे और अमृता बेहद दिलकश थी, अपनी खूबसूरती में भी और अपनी लेखनी में भी। दोनों एक मुशायरे में शिरकत के लिए प्रीत नगर पहुंचे थे। मद्धम रोशनी वाले एक कमरे में दोनों की आंखें चार हुईं और बस प्यार हो गया. मगर, प्यार की ये कहानी उस दिशा में चल पड़ी, जिसका न कोई ओर-छोर था न इससे पहले कोई मिसाल मिलती है।
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मेरी प्रेरणा - अमृता प्रीतम

तेरा मिलना ऐसे होता है
जैसे कोई हथेली पर
एक वक़्त की रोजी रख दे।।
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मेरी प्रेरणा - अमृता प्रीतम

कोट :-

ये सिलसिला आज से करीब 77 बरस पहले शुरू हुआ था। बात 1944 की है। जब उस वक्त बड़ी तेजी से उभर रहे शायर साहिर लुधियानवी पहली बार लेखिका अमृता प्रीतम से मिले थे। जगह थी लाहौर और दिल्ली के बीच स्थित प्रीत नगर। किस्मत का फेर देखिए कि मोहब्बत के इस अफसाने का आगाज ऐसी जगह से हुआ जिसका नाम ही प्रीत नगर यानी प्यार की नगरी था।

साहिर जुनुनी और आदर्शवादी थे और अमृता बेहद दिलकश थी, अपनी खूबसूरती में भी और अपनी लेखनी में भी। दोनों एक मुशायरे में शिरकत के लिए प्रीत नगर पहुंचे थे। मद्धम रोशनी वाले एक कमरे में दोनों की आंखें चार हुईं और बस प्यार हो गया. मगर, प्यार की ये कहानी उस दिशा में चल पड़ी, जिसका न कोई ओर-छोर था न इससे पहले कोई मिसाल मिलती है।
mahimajain6772

Mahima Jain

New Creator