ये बीते कल की यादें,.... उफ़्फ़... मुझे तो सिर्फ़ अफ़सोस दे के जाती हैं! मेरे वजूद के टूकडे दिखा के जाती हैं!! जब भी आती हैं कमबक़्त........ ये यादें सीने में दर्द हि दर्द भर के जाती हैं!! मरहम सी बातों में चुभन कोई तीर सी! टूटी सी दिवार पे लगी कोई तस्वीर सी!! हँसती हो जैसे मुझ पे रूठी तकदीर सी! साजिशो का जैसे कोई खेल बताती हैं!! जब भी आती हैं कमबक़्त........ ये यादें! सीने में दर्द ही दर्द भर के जाती हैं!! सच का लिबास ओढ़े, जैसे कोई झूठ है! किसको मैं क्या कहुँ, मुझ में भी खोट है!! रुठा है खुद से-राज, जो खुद में एक झूठ है! झूठी सी दुनिया का जैसे सच बताती है!! जब भी आती हैं कमबक़्त......... ये यादें! सीने में दर्द ही दर्द भर के जाती हैं!! June 28, 2021 ©Miss Dhiren #beeta#kl .......................