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विसाल की कोन सी , बडती हुए चाह में, ना जा

विसाल की कोन सी ,
  बडती हुए चाह में, 
      ना जाने कोन से ,
        रुख़ अपनाये है, 
               कयूँ फ़िराक़ सा डर, 
                  आज भी बरकरार है.. #रुख़
विसाल की कोन सी ,
  बडती हुए चाह में, 
      ना जाने कोन से ,
        रुख़ अपनाये है, 
               कयूँ फ़िराक़ सा डर, 
                  आज भी बरकरार है.. #रुख़