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बड़े सलीक़े से सिलसिला ख़तों का चला करता था ख़ामुशी ल


बड़े सलीक़े से सिलसिला ख़तों का चला करता था ख़ामुशी लिए हुए
रख दिये जाते हैं आज हाल उधेड़ के ऑनलाइन एक ज़र्रा तवज्जो के लिए

लम्हों में तस्वीरें पहुंच जाती हैं इधर से उधर रफ़्तार के इस ज़माने में
एक वो भी वक्त था जब दिन गुज़र जाता था यार की एक झलक पाने के लिए 11/9/22

बड़े सलीक़े से सिलसिला ख़तों का चला करता था ख़ामुशी लिए हुए
रख दिये जाते हैं आज हाल उधेड़ के ऑनलाइन एक ज़र्रा तवज्जो के लिए

लम्हों में तस्वीरें पहुंच जाती हैं इधर से उधर रफ़्तार के इस ज़माने में
एक वो भी वक्त था जब दिन गुज़र जाता था यार की एक झलक पाने के लिए 11/9/22

11/9/22