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#OpenPoetry आईने से डर गए तुम, सच से मुकर गए तुम।।

#OpenPoetry आईने से डर गए तुम,
सच से मुकर गए तुम।।

आमो को पाने के चक्कर में,
बगीचे में ठहर गए तुम।।

गांव की छोड़ कीमती जायदाद,
पैसे कमाने शहर गए तुम।

दरवाज़े पर रहती हैं एक परछाई,
अभी तक नहीं घर गए तुम।।

खुद गए समंदर किनारे और,
लहरों को देख सिहर गए तुम।

चाँद बनने की चाहत में,
तारों सा बिखर गए तुम। #OpenPoetry #nojotohindi #nojoto_hindi Nishanth Gauthama Pooja Nisha Singh Dhananjay Kumar Atul Prasad Arya
#OpenPoetry आईने से डर गए तुम,
सच से मुकर गए तुम।।

आमो को पाने के चक्कर में,
बगीचे में ठहर गए तुम।।

गांव की छोड़ कीमती जायदाद,
पैसे कमाने शहर गए तुम।

दरवाज़े पर रहती हैं एक परछाई,
अभी तक नहीं घर गए तुम।।

खुद गए समंदर किनारे और,
लहरों को देख सिहर गए तुम।

चाँद बनने की चाहत में,
तारों सा बिखर गए तुम। #OpenPoetry #nojotohindi #nojoto_hindi Nishanth Gauthama Pooja Nisha Singh Dhananjay Kumar Atul Prasad Arya