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मैं बनकर के हवा तेरी साँसों में उतर जाऊँगी। तुम दे

मैं बनकर के हवा तेरी साँसों में उतर जाऊँगी।
तुम देखना इक दिन तेरी रूह सी बन जाऊँगी।

आईना देखोगे और मुस्कुराओगे!
तुम तुम नहीं रहोगे तुम्हें हम ही नज़र आयेंगे।

रूह से रूह मिलके एक कैसे होते हैं?
ज़िक्र जो होगा तो हम दोनों के नाम आयेंगे। A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - ५ फरवरी शाम ५ बजे तक

✔️ ६ पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।
मैं बनकर के हवा तेरी साँसों में उतर जाऊँगी।
तुम देखना इक दिन तेरी रूह सी बन जाऊँगी।

आईना देखोगे और मुस्कुराओगे!
तुम तुम नहीं रहोगे तुम्हें हम ही नज़र आयेंगे।

रूह से रूह मिलके एक कैसे होते हैं?
ज़िक्र जो होगा तो हम दोनों के नाम आयेंगे। A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - ५ फरवरी शाम ५ बजे तक

✔️ ६ पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।
nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator