था बहुत मुश्किल मगर आज़ाद दिल का परिंदा रहा हाँ लड़खड़ाया तो कई बार पर ज़मीर मेरा ज़िंदा रहा एक धुँध सी छायी थी यूँ तो रिश्तों के आसपास बहुत दिल उम्मीदों के घर का मगर हर वक़्त बाशिंदा रहा पड़ गई थी कितनी गिरहें जज़्बातों के दरमियाँ लेकिन खुल गई जब गिरहें मन की तो खुद से सब शर्मिंदा रहा खैरियत थी ये कि उलझे हालातों से हम निकल आए जीवन की ख़ुशियाँ जहाँ थीं महफूज़ वो घरौंदा रहा #cinemagraph #घरौंदा