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कभी कहती है busy hun मैं। कभी कहती है फोन पास नही

 कभी कहती है busy hun मैं।
कभी कहती है फोन पास नहीं।
तुम को मैं कैसे समझाऊं ।
के तेरे बिन जीने की आस नहीं।
बात ना हो तुमसे जो तो,
दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
दिल ढूंढे तुम्हें,कान सुनना चाहें।
आंखे तुम्हे ही देखना चाहती है।
पर मेरी इन फीलिंग्स का क्यूं।
होता तुम्हे अहसास नहीं।
तुम को,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
लब चुप रहते है।
जहन कहने लगा है।
क्यूं दूर तू मुझसे रहने लगा है।
क्या पहले जैसा नाता नहीं अब।
क्या मेरा। चेहरा भाता नहीं ।
यही सोच के आंखे भर आती है।
दिल भारी हो जाता है।
जिसको भी हम चाहते है।
जाने क्यों वो हमें सत्ताता है।
दिल में दर्द है अब इतना मेरे ।
आती अच्छे से सांस नहीं।
तुम को,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
ताहिर।।।

©TAHIR CHAUHAN
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