सीधा साधा लगता हूँ, और दिखता भले बेचारा हूँ सूरत पे मेरी तुम मत जाओ, सच है यह मैं आवारा हूँ। मुझे ढूंढ ढूंढ थक जाओगे, एक जगह नज़र ना आऊंगा जिस थाने रपट लिखाओगे, उसी के हवालात में मैं मिल जाऊंगा। कहीं एक ठिकाना मेरा नहीं, मैं फिरता मारा मारा हूँ सूरत पे मेरी तुम मत जाओ, सच है यह मैं आवारा हूँ। एहसासों का कोरा पन्ना नहीं, जज़्बाती कलम की स्याही हूँ मन के भीतर की छुपी हुई, जज़्बातों की परछाई हूँ। कोई रोक सके न जो गंगा की, उस वेग से बहती धारा हूँ सूरत पे मेरी तुम मत जाओ, सच है यह मैं आवारा हूँ। #rjpoetry #nojoto