मिलकर तुझ से मुझ में इक आस जगी हैं मेरे सीने में भडकी आग मेरी शायरी हैं आसाँ कब था मेरे लिए तेरा बिछड़ जाना मत पूछ तेरे बिना कैसे जिंदगी कटी हैं सब कुछ होते हुए भी मैं उदास हूँ ना जाने किसकी बददुआ लगी हैं बारिश के सौदागर पता पूछते हैं मेरा सुना है मेरी आँखों में बहुत नमी हैं कोई तो हो जो मुझे दुःख से बाहर निकाले फ़िराक़ मै हूँ गम है और बस जिंदगी हैं ©Prince_firaaq मिलकर तुझ से,,,, #ColdMoon