देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना जैसे कोई कराह हो या हो प्रसव-वेदना कचरे कई नालों से उतरते हुए देखा शौचालयों के मुंह का न है कोई लेखा मां बचपन में धोती थी अब कब तक धुलाना देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना ©संजीव #गंगा