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मेरे बचपन को लौटाओ एक माँ कि गोद से उतर कर दूसरी

मेरे बचपन को लौटाओ

एक माँ कि गोद से उतर कर दूसरी माँ कि गोद मे खेलना, वो माँ कि ममता के धूल को माथे पे लगाना,कभी उन्ही मिट्टी को चोरी से खाना,रोटियां हाथो मे लेके बाहर भाग जाना, चहचाहती चिड़ियों के पीछे दौड़ जाना, हर एक का मुझे अपनी गोद मे उठाना, काजल लगा कर मुझे नज़रो से बचाना, वो दादी का चिल्लाना, मुझे पकड़ कर कमरे मे ले जाना, 
वो दिन अब नहीं रहे,
 खिलौने इतने पर खेलने वाला बच्चा आज अकेला है, अब वो फ़िक्र नहीं वो प्यार नहीं वो परवाह नहीं वो चाह नहीं रही, बचपन बिखर सा गया है. वैसे कमरे मे सब कुछ है मेरे, नहीं है तो वो खुशियाँ वो जो अपनों से मिलती थी कभी, पहले मुझे अपने पास सब लेने के लिए लड़ते रहते थे, आज मुझे लेने से कतराते है, पहले सुलाते थे अपने पास हमें, आज ना जाने क्यूँ दूर भगाते है,
"हरीश तन्हा"

©Harish Pandey #मेरेबचपनकोलौटाओ
#हरीशतन्हा  saakshi naghare Vaishali Srivastava Aarti Dhami kayra vaishnav shivanshusen
मेरे बचपन को लौटाओ

एक माँ कि गोद से उतर कर दूसरी माँ कि गोद मे खेलना, वो माँ कि ममता के धूल को माथे पे लगाना,कभी उन्ही मिट्टी को चोरी से खाना,रोटियां हाथो मे लेके बाहर भाग जाना, चहचाहती चिड़ियों के पीछे दौड़ जाना, हर एक का मुझे अपनी गोद मे उठाना, काजल लगा कर मुझे नज़रो से बचाना, वो दादी का चिल्लाना, मुझे पकड़ कर कमरे मे ले जाना, 
वो दिन अब नहीं रहे,
 खिलौने इतने पर खेलने वाला बच्चा आज अकेला है, अब वो फ़िक्र नहीं वो प्यार नहीं वो परवाह नहीं वो चाह नहीं रही, बचपन बिखर सा गया है. वैसे कमरे मे सब कुछ है मेरे, नहीं है तो वो खुशियाँ वो जो अपनों से मिलती थी कभी, पहले मुझे अपने पास सब लेने के लिए लड़ते रहते थे, आज मुझे लेने से कतराते है, पहले सुलाते थे अपने पास हमें, आज ना जाने क्यूँ दूर भगाते है,
"हरीश तन्हा"

©Harish Pandey #मेरेबचपनकोलौटाओ
#हरीशतन्हा  saakshi naghare Vaishali Srivastava Aarti Dhami kayra vaishnav shivanshusen