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Happy Friendship "Life" 'मेरा आज का अनुभव' (Capti

Happy Friendship "Life"

'मेरा आज का अनुभव'
(Caption) "घरघरघररररऽऽघऽघररर".... स्कूटी के बंद होने की आवाज़ के साथ हीं एक चीखती आवाज़ "रे"...

आवाज़ मोटू की थी और उसके अंदाज़ का भी पता था मुझे, रे के बाद अगला संबोधन उसका गाली के स्वर में हीं होने वाला था और मज़े की बात ये थी कि मेरे पिताजी सामने बैठे हुए थे,,, इससे पहले कि वो रे के बाद कुछ कहता मैं बिजली की गति से ऐसे उठा मानो तब अगर उसेन बोल्ट से भी रेस लगा रहा होता तो उसे भी घंटे के अन्तर से हरा देता... बहरहाल गेट खोलते हीं सामने मेरे लंगोटिया यार सत्तू ज़हरीली मुस्कान लिए मोटू के साथ खड़ा था, हम लंगोटिया यार हैं अलबत्ता हमारी दोस्ती चड्डी पहने के शुरुआती दौर में हुई थी जो कि आज फ्लेवर्ड़ कवर पहनने की उमर तक बरकरार है...

तो इससे पहले उनके मुख मंडल से मुझे विशेषित रूप से सम्मानित करने वाले संज्ञा का उच्चारण होता मैंने तेजी दिखाते हुए कहा, "आओ पिताजी से मिलो"  मुझे लगा शायद अब वो झूठी शराफत दिखाने की एक्टिंग करेंगे 
इसलिए हालात अब काबू में थे.. ऐसा मुझे लग रहा था मगर अब शुरू हुआ मेरी सामूहिक रूप से लेने की प्रतियोगिता... दोनों यारों ने पिताजी के सामने मेरी तबीयत से लेनी शुरू कर दी और मैं झूठी मुस्कान लिए उन दोनों को देखता रहा ठीक वैसे हीं जैसे बचपन में जब घर में मेहमान आने पर मां उनको चाय बिस्किट देती और हम उनकी प्लेट से निकाल लेते तो हमे देखते हुए जैसी मुस्कान मां के चेहरे पर होती थी, हालांकि क्रोध का समुंदर उनके आंखो से उबाल मार रहा होता था... और मेरी भी कुछ ऐसी हीं स्थिति थी।

मरता क्या ना करता.. हालात और बिगड़े इससे पहले मैंने उनको जबरन बाहर खींचते हुए कहा चलो कहीं घूमने निकलते हैं... ठीक 3 इडियट मूवी मैं जैसे तीनो यार लटक के स्कूटी पे सवार होके निकलते हैं अपनी सवारी भी वैसे हीं निकल पड़ी... रास्ते भर एक दूजे की शब्दों रूपी समान से एक दूजे की मारते हुए और अपनी अपनी बचाते हुए हम पंहुचे अपने इलाके के मशहूर टाइमपास वाली जगह 'डैम' पर...
Happy Friendship "Life"

'मेरा आज का अनुभव'
(Caption) "घरघरघररररऽऽघऽघररर".... स्कूटी के बंद होने की आवाज़ के साथ हीं एक चीखती आवाज़ "रे"...

आवाज़ मोटू की थी और उसके अंदाज़ का भी पता था मुझे, रे के बाद अगला संबोधन उसका गाली के स्वर में हीं होने वाला था और मज़े की बात ये थी कि मेरे पिताजी सामने बैठे हुए थे,,, इससे पहले कि वो रे के बाद कुछ कहता मैं बिजली की गति से ऐसे उठा मानो तब अगर उसेन बोल्ट से भी रेस लगा रहा होता तो उसे भी घंटे के अन्तर से हरा देता... बहरहाल गेट खोलते हीं सामने मेरे लंगोटिया यार सत्तू ज़हरीली मुस्कान लिए मोटू के साथ खड़ा था, हम लंगोटिया यार हैं अलबत्ता हमारी दोस्ती चड्डी पहने के शुरुआती दौर में हुई थी जो कि आज फ्लेवर्ड़ कवर पहनने की उमर तक बरकरार है...

तो इससे पहले उनके मुख मंडल से मुझे विशेषित रूप से सम्मानित करने वाले संज्ञा का उच्चारण होता मैंने तेजी दिखाते हुए कहा, "आओ पिताजी से मिलो"  मुझे लगा शायद अब वो झूठी शराफत दिखाने की एक्टिंग करेंगे 
इसलिए हालात अब काबू में थे.. ऐसा मुझे लग रहा था मगर अब शुरू हुआ मेरी सामूहिक रूप से लेने की प्रतियोगिता... दोनों यारों ने पिताजी के सामने मेरी तबीयत से लेनी शुरू कर दी और मैं झूठी मुस्कान लिए उन दोनों को देखता रहा ठीक वैसे हीं जैसे बचपन में जब घर में मेहमान आने पर मां उनको चाय बिस्किट देती और हम उनकी प्लेट से निकाल लेते तो हमे देखते हुए जैसी मुस्कान मां के चेहरे पर होती थी, हालांकि क्रोध का समुंदर उनके आंखो से उबाल मार रहा होता था... और मेरी भी कुछ ऐसी हीं स्थिति थी।

मरता क्या ना करता.. हालात और बिगड़े इससे पहले मैंने उनको जबरन बाहर खींचते हुए कहा चलो कहीं घूमने निकलते हैं... ठीक 3 इडियट मूवी मैं जैसे तीनो यार लटक के स्कूटी पे सवार होके निकलते हैं अपनी सवारी भी वैसे हीं निकल पड़ी... रास्ते भर एक दूजे की शब्दों रूपी समान से एक दूजे की मारते हुए और अपनी अपनी बचाते हुए हम पंहुचे अपने इलाके के मशहूर टाइमपास वाली जगह 'डैम' पर...

"घरघरघररररऽऽघऽघररर".... स्कूटी के बंद होने की आवाज़ के साथ हीं एक चीखती आवाज़ "रे"... आवाज़ मोटू की थी और उसके अंदाज़ का भी पता था मुझे, रे के बाद अगला संबोधन उसका गाली के स्वर में हीं होने वाला था और मज़े की बात ये थी कि मेरे पिताजी सामने बैठे हुए थे,,, इससे पहले कि वो रे के बाद कुछ कहता मैं बिजली की गति से ऐसे उठा मानो तब अगर उसेन बोल्ट से भी रेस लगा रहा होता तो उसे भी घंटे के अन्तर से हरा देता... बहरहाल गेट खोलते हीं सामने मेरे लंगोटिया यार सत्तू ज़हरीली मुस्कान लिए मोटू के साथ खड़ा था, हम लंगोटिया यार हैं अलबत्ता हमारी दोस्ती चड्डी पहने के शुरुआती दौर में हुई थी जो कि आज फ्लेवर्ड़ कवर पहनने की उमर तक बरकरार है... तो इससे पहले उनके मुख मंडल से मुझे विशेषित रूप से सम्मानित करने वाले संज्ञा का उच्चारण होता मैंने तेजी दिखाते हुए कहा, "आओ पिताजी से मिलो" मुझे लगा शायद अब वो झूठी शराफत दिखाने की एक्टिंग करेंगे इसलिए हालात अब काबू में थे.. ऐसा मुझे लग रहा था मगर अब शुरू हुआ मेरी सामूहिक रूप से लेने की प्रतियोगिता... दोनों यारों ने पिताजी के सामने मेरी तबीयत से लेनी शुरू कर दी और मैं झूठी मुस्कान लिए उन दोनों को देखता रहा ठीक वैसे हीं जैसे बचपन में जब घर में मेहमान आने पर मां उनको चाय बिस्किट देती और हम उनकी प्लेट से निकाल लेते तो हमे देखते हुए जैसी मुस्कान मां के चेहरे पर होती थी, हालांकि क्रोध का समुंदर उनके आंखो से उबाल मार रहा होता था... और मेरी भी कुछ ऐसी हीं स्थिति थी। मरता क्या ना करता.. हालात और बिगड़े इससे पहले मैंने उनको जबरन बाहर खींचते हुए कहा चलो कहीं घूमने निकलते हैं... ठीक 3 इडियट मूवी मैं जैसे तीनो यार लटक के स्कूटी पे सवार होके निकलते हैं अपनी सवारी भी वैसे हीं निकल पड़ी... रास्ते भर एक दूजे की शब्दों रूपी समान से एक दूजे की मारते हुए और अपनी अपनी बचाते हुए हम पंहुचे अपने इलाके के मशहूर टाइमपास वाली जगह 'डैम' पर... #Friendship #lifelessons #lifequotes #mylife #happyfriendshipday #HappyFriendshipLife