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चढ़ते सूरज, चढ़ते यौवन को, हर कोई सलाम करता है। ढ

चढ़ते सूरज, चढ़ते यौवन को, 
हर कोई सलाम करता है।
ढ़लते सूरज, ढ़लते यौवन को, 
अब कौन सलाम करता है ?
बहती गंगा की धारा में हर कोई,
नहाना चाहता है।
गंगा मैली हो चुकी है अब कौन,
हाथ धोना चाहता है ?
चढ़ते सूरज, चढ़ते यौवन को, 
हर कोई सलाम करता है।
ढ़लते सूरज, ढ़लते यौवन को, 
अब कौन सलाम करता है ?
बहती गंगा की धारा में हर कोई,
नहाना चाहता है।
गंगा मैली हो चुकी है अब कौन,
हाथ धोना चाहता है ?
anandmilan5376

Anand Milan

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