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यूं तो चंचल बचपन से थी गुनगुनाती एक तितली थी

  यूं तो चंचल बचपन से थी
  गुनगुनाती एक तितली थी
  कोई पन्ना कहीं मिलता
   उस पे हाथ चलाती
   मटरगशती की शौकीन
 चलती फिरती धांसू नमकीन
  मनमुताबिक हर चीज मिली
   कमी न बाबुल ने होने दी
  बहती उम्र से समय निकाल
  लिख डाला चंद पन्नो पर
  न कोई धरोहर ,न वसीयत
  न ही किसी कोई शिकायत
 लिख कर पा लेती हूं सुकून
 पड़ जाता है कुछ आराम।
   
  
   
     #तूलिका 
#तूलिकाकेरंगं 
नहीं मालूम क्या लिखती हूं
बंद किताबों में नहीं छपना चाहती हूं
लिख कर आती किसी के चेहरे पे ख़ुशी
खुद को तब बड़ा महसूस करती हूं
#योरकोटऔरमैं
  यूं तो चंचल बचपन से थी
  गुनगुनाती एक तितली थी
  कोई पन्ना कहीं मिलता
   उस पे हाथ चलाती
   मटरगशती की शौकीन
 चलती फिरती धांसू नमकीन
  मनमुताबिक हर चीज मिली
   कमी न बाबुल ने होने दी
  बहती उम्र से समय निकाल
  लिख डाला चंद पन्नो पर
  न कोई धरोहर ,न वसीयत
  न ही किसी कोई शिकायत
 लिख कर पा लेती हूं सुकून
 पड़ जाता है कुछ आराम।
   
  
   
     #तूलिका 
#तूलिकाकेरंगं 
नहीं मालूम क्या लिखती हूं
बंद किताबों में नहीं छपना चाहती हूं
लिख कर आती किसी के चेहरे पे ख़ुशी
खुद को तब बड़ा महसूस करती हूं
#योरकोटऔरमैं
tulika3350361195569

Anamika

New Creator