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न जाने पलक झपकते ही क्यों, दिलरुबा बेवफा करार हो ग

न जाने पलक झपकते ही क्यों,
दिलरुबा बेवफा करार हो गई, 
नुमाइश में तो अप्सरा थी बेचारी,
करीब आकर नाचीज़ हो गई। । उसका हुस्न देख आँखें मेरी मुझसे यूँ झगड़ती रही 
धड़कने दिल की बेतहाशा  इस क़दर बिगड़ती रही 
बे-वफ़ाओं से कभी ना सिखा हमनें तो सबक़ यारों 
कमबख़्त इश्क़ की परवान हर घड़ी बस चढ़ती रही 

© Pradeep Agarwal (अंजान)
न जाने पलक झपकते ही क्यों,
दिलरुबा बेवफा करार हो गई, 
नुमाइश में तो अप्सरा थी बेचारी,
करीब आकर नाचीज़ हो गई। । उसका हुस्न देख आँखें मेरी मुझसे यूँ झगड़ती रही 
धड़कने दिल की बेतहाशा  इस क़दर बिगड़ती रही 
बे-वफ़ाओं से कभी ना सिखा हमनें तो सबक़ यारों 
कमबख़्त इश्क़ की परवान हर घड़ी बस चढ़ती रही 

© Pradeep Agarwal (अंजान)
sitalakshmi6065

Sita Prasad

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