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कबिता ________ रुपंत्र्ण [mutability] __________

कबिता 
________
रुपंत्र्ण  [mutability]
__________________
जन्म नहीं आरंम्भ जीवन का,
मृत्यो नहीं अंत समय का,
मरघट तक केबल तन जाता है,
कल्पनाओ के आगे भी मन जाता है,
अंत क्षण जब ठन जाता है,
फिर उध्घोश होता है आत्मा अमर है,
आखिर कोई तो बताओ ,
जीवन और मित्यु के बीच यह कैसा समर है?

{Deepak} रुपन्त्र्न
#mutability
कबिता 
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रुपंत्र्ण  [mutability]
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जन्म नहीं आरंम्भ जीवन का,
मृत्यो नहीं अंत समय का,
मरघट तक केबल तन जाता है,
कल्पनाओ के आगे भी मन जाता है,
अंत क्षण जब ठन जाता है,
फिर उध्घोश होता है आत्मा अमर है,
आखिर कोई तो बताओ ,
जीवन और मित्यु के बीच यह कैसा समर है?

{Deepak} रुपन्त्र्न
#mutability
dpkkumar1596

Dpk Kumar

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