मन तो अब भी रंगीन है, पर मनोरंजन कैसे करू? चलो दर्द को भूल भी गया, पर जख्मो को कैसे भरु? बाटने को बाट दु खुशियां, पर दुखरो से मैं कैसे लड़ू? दिल मे रंगीन वादियां तो है, पर बर्बादियों को कैसे सहू? फिर भी एक रंग आजमाता हूँ, चलो मिलकर सब भुलाता हूँ! जो बिकते नही बाजारों में, वो रंग मैं तुम्हे लगाता हूँ! अगर रंग तुम्हे समझ आए, तो तुम भी मुझे लगा देना! अपने गले लगाकर मुझको यू होली तुम मना लेना! दीपांजल✍️ #holi #rangoli #dktiwari742 #deepanjal #words_gamer