कुछ सपने बड़े अधूरे से जो कभी हुए ना पूरे थे ।दिल कहता साथ चले जाओ उन सपनों के संग उड़ जाऊं। वह सपने भी कोई सपने हैं जिनमें उम्मीद का जाम नहीं ।वह सपने भी कोई सपने हैं जिनमें कोशिश का नाम नहीं ।हर राह चुनी अनजाने से उन सपनों पर बढ़ चलने को ,ना जाने अब उन राहों पर क्या-क्या था अब होने वाला। उम्मीद ले उस जीवन से काटो पर मुझको चलना है। वह रात बड़ी अंधियारी सी उस रात से एक सौगात मिली।मुझको ना तो अब डरना है आगे ही बढ़ते रहना है ।मंजिल कितनी भी दूर रह ख्वाबों को नहीं बिखरना है ।डट कर लड़ते ही रहना है मुझको बस बढ़ते रहना है ।बस कोशिश अभी जारी थी वह सुबह बड़ी प्यारी सी थी ।अब जाग उठे सब सपने थे सौगात बड़ी सुहानी सी थी ।अब जीत लिया इस जीवन को जो अनसुलझी कहानी थी। कुछ सपने बड़े अधूरे से कुछ सपने बड़े अधूरे से । poetry (sapne)