अल्फ़ाज़ कुछ अल्फ़ाज़ ऐसे अधूरे रह जाते हैं की हमें अंदर ही अंदर खा जाते हैं। हम उन अल्फाजों को कहना तो चाहते हैं पर किसी को कह नहीं पाते और अंदर ही अंदर घुट जाते हैं। #alfhaz