गुलों से ख़ार बहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं अपनों से ग़ैर बहतर हैं जो मुहब्बत से नाम लेते हैं अपनीं आबरू उसकी इज़्ज़त भी बचाते हैं जा बजा हम ग़ुस्से में भी बहुत नर्मी से काम लेते हैं