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'और कुछ दिन "यहां" "रुकने" का "बहाना" मिलता' इस 'न

'और कुछ दिन "यहां" "रुकने" का "बहाना" मिलता' इस 'नए "शहर" में 'कोई तो "पुराना" मिलता, मैं' तो जो "कुछ" भी था, जितना भी था सब "मिट्टी" था' सब "मिट्टी" था, "तुम" अगर 'ढूंढते "मुझमें" 'तो "खजाना" 
'मिलता ,,,, #ढूंढते मुझमें तो#खजाना मिलता  #barakar #Talk #shayari #indianwriters #writersofindia  #poetsoindia #poetrycommunity  #nojoto
'और कुछ दिन "यहां" "रुकने" का "बहाना" मिलता' इस 'नए "शहर" में 'कोई तो "पुराना" मिलता, मैं' तो जो "कुछ" भी था, जितना भी था सब "मिट्टी" था' सब "मिट्टी" था, "तुम" अगर 'ढूंढते "मुझमें" 'तो "खजाना" 
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