फितरत में ही है जिनके मलामत करना क्या जाने वो अज़मत की हिफाज़त करना बंदगी में रब के दिल झुकाना पड़ता है कहते नहीं सजदे को इबादत करना मसअलों का हल भला वो हमको क्या देंगे जिनको है मसअलों पे सियासत करना