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दोहा बारम्बार सोचत तब ,उपजे मन कामना क्रोध रूप

दोहा 
बारम्बार सोचत तब ,उपजे  मन  कामना
क्रोध रूप ले लेत है,  बाधित  हो कामना


शिव सुन्दर सोलंकी ( शिवराज खटीक) #दोहा क्रोध की उत्पत्ति
दोहा 
बारम्बार सोचत तब ,उपजे  मन  कामना
क्रोध रूप ले लेत है,  बाधित  हो कामना


शिव सुन्दर सोलंकी ( शिवराज खटीक) #दोहा क्रोध की उत्पत्ति

#दोहा क्रोध की उत्पत्ति