कहना तो बहुत कुछ तुमसे पर कहना पाया कभी तुमसे मेरे अंदर कितनी सवाल हैं जिनका आंसर चाहता हूं पर सोचता हूं कि तुम सुन केकि तुम सुनकर भी अनसुना कर जाओगे तुमने कब किसी की सुनी है जो अब मेरी सुनोगे माना कि ख्याल मेरा भी वही है ©Amit Goswami amit goswami