White क्यों खस्ताहल होना पत्तियां दरख्तों से छूटने लगती हैं, पतझड़ जब आता है तो इनकी बर्बादी के रास्ते खुल जाते हैं। पानी की जरूरत ही कहां पड़ती है, कभी–कभी तो आंसुओं से ही चेहरे धुल जाते हैं। और सावन की रिमझिम बूंदें तो तप्त मही पर आते ही सूख जाती हैं, दुःख जब आते हैं तो आंखों से सैलाब निकल आते हैं। गमगीनियां तो सभी की जिंदगी में हैं लेकिन, कभी–कभी ऐसे दर्द मिलते हैं जो सभी को खल जाते हैं। हम कहां इतने बड़भागी हैं, जो खुशी में झूम सकें, गम आते हैं और हमें कुचल जाते हैं। फिर भी.. गमों की सौगात लाई हुई इस जिंदगी से क्यों खस्ताहाल होना, चलो पूरे साहस के साथ इसके खिलाफ़ बिगुल बजाते हैं। आज रोना ही रास आ जाए हमें, उम्मीदें अगर अटल हों तो, खुशियों के लाख रस्ते निकल आते हैं। कर लेंगे हर मुश्किल को पार हम भी, करने से हरेक पेचीदा किस्से हल हो जाते हैं। और गमों की सौगात लाई हुई इस जिंदगी से... क्यों खस्ताहाल होना, चलो पूरे साहस के साथ इसके खिलाफ़ बिगुल बजाते हैं। ©Deepa Ruwali #Sad_Status #poetry #shayari