शीर्षक :— क्या इसे प्यार कहेंगे? किसी से मिलते ही लम्हा ठहर जाए, क्या इसे प्यार कहेंगे, धड़कनें हों बेकाबू और तन सिहर जाए, क्या इसे प्यार कहेंगे, पतझड़ सी गुज़री है ज़िंदगी, जिन्हें अपना कहा वो बिछड़ गए, ऐसे में, इक आहट से मौसम बदल जाए, क्या इसे प्यार कहेंगे, उदासियों और तन्हाइयों का सदियों पुराना सा याराना है मुझसे, पर किसी की नादानियों से दिल बहल जाएँ, क्या इसे प्यार कहेंगे, ठोकरों की आदत हो जाने के बाद, सबकुछ साधारण सा लगता है, किसी के साथ चलने मात्र से क़दम सँभल जाएँ, क्या इसे प्यार कहेंगे, दिल-ए-नादान के पास इन सवालों का जवाब शायद ही होगा “साकेत", अमावस सी ज़िंदगी में पूनम सा चाँद निकल जाए, क्या इसे प्यार कहेंगे? IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla क्या इसे प्यार कहेंगे? . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .