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हर शै में सुनती हूँ तुम्हारी आहट, भोर की बेला में

हर शै में सुनती हूँ तुम्हारी आहट,
भोर की बेला में वो पंछियों की चहचाहट हो
या लहराते पेड़ पौधों की सरसराहट,

बहुत कठिन है तुमसे अलग रहना,
महसूस होते ही तुम साँसों की गरमाहट में,
सहज़ नहीं होता रहना, विरह से होती है घबराहट!! 🎀 Challenge-189 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 Font छोटा रखिए ताकि वालपेपर खराब न हो।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
हर शै में सुनती हूँ तुम्हारी आहट,
भोर की बेला में वो पंछियों की चहचाहट हो
या लहराते पेड़ पौधों की सरसराहट,

बहुत कठिन है तुमसे अलग रहना,
महसूस होते ही तुम साँसों की गरमाहट में,
सहज़ नहीं होता रहना, विरह से होती है घबराहट!! 🎀 Challenge-189 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator