रहें उल्फ़त में बड़े पेच-ओ-ख़म हैं सच ही तो है प्यार के अलावा और भी ग़म हैं मैं जब तक मैं तुम जब तक तुम हो मिलें ज़माने भर की खुशियाँ फिर भी कम हैं घूम लो लारियों में महफूज़ हो तुम क़ैदख़ाने तो अपने बेबस लाचार हम हैं जिसके दम से भरते हो घर की रसोई आज वही मारा-मारा फिरता बेदम है खुश तो बहुत हुये होगे दिल तोड़ के " वरुण " ख़ुद महबूब के बाहों में हो औ अकेले हम हैं ©वरुण " विमला " " मज़दूर " #nojoto #किसान #मज़दूर #ग़रीब #सियासत #प्यार #दोस्त