हर हक़ीक़त वाबस्ता है तेरे गुरुर से ऐसा हुस्न कैसे मिल गया इतनी दूर से आएगा ऐसा वक़्त कभी ज़िन्दगी में नूर तो रह जाएगा लेकिन हम न होंगे तेरी बंदगी में तेरी यादों का असर