अकसर तनहाइयों की शाम हम धुंए से राख हुए हमारे ख्वाब भी कुछ यूँ आबाद हुए । शौक से अपना दिल हमने जला डाला शौक से या फिर दिल से बरबाद हुए । दोष न दो आतिश को यारों , इश्क भी सुलगती आग थी । इस आतिशबाजी में हम कुछ ऐसे खाक हुए । इश्क की आतिशबाजी