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दिया वरदान ईश्वर ने कि तुम हो नारी,बनी फिर तेरी पा

दिया वरदान ईश्वर ने कि तुम हो नारी,बनी फिर तेरी पालनहारी,
जगजननी जगत की माता,मैं ही हूँ इस जगत की जगकल्याणी,

निज तन मन को त्यागा था,तेरे जिस्म की भूख को मिटाया था,
इतना असहाय कर दिया,मेरे अंतरात्मा को पल में मार गिराया था,

सोच समझ के ही मेरे अन्तहृदय वजूद को नष्ट भ्रष्ट करना ए दुष्ट मानव,
कहीं ऐसा न हो भूल मैं अपनी मर्यादा, कहीं बन न जाऊं मैं दानव।  " साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता "
(Post 14)
सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा "नमस्कार"

🎀 
आप सभी से मेरा निवेदन है शीर्षक को ध्यान में रखते हुए 
अपनी बहुमूल्य रचनाएं लिखे ।
दिया वरदान ईश्वर ने कि तुम हो नारी,बनी फिर तेरी पालनहारी,
जगजननी जगत की माता,मैं ही हूँ इस जगत की जगकल्याणी,

निज तन मन को त्यागा था,तेरे जिस्म की भूख को मिटाया था,
इतना असहाय कर दिया,मेरे अंतरात्मा को पल में मार गिराया था,

सोच समझ के ही मेरे अन्तहृदय वजूद को नष्ट भ्रष्ट करना ए दुष्ट मानव,
कहीं ऐसा न हो भूल मैं अपनी मर्यादा, कहीं बन न जाऊं मैं दानव।  " साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता "
(Post 14)
सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा "नमस्कार"

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