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सनुो मझुे तुम फिर याद आयी ., शाम ढले इक चिट्ठी आय

सनुो मझुे तुम फिर याद आयी .,
शाम ढले इक चिट्ठी आयी .…
पता तुम्हे मालमू न था,.
फिर मझु तक कैसे पहुँचायी ,,,
सनुो मझुे तुम फिर याद आयी ..
खत में मेरा नाम लिखा है.,
साथ में ये पगैाम लिखा है…
तमु भी मझुे भलू न पायी ,.
याद तुम्हे भी मेरीआयी ., 
आगे तमु कुछ यूँ लिखती हो.,
तुम्हे पता  है कब­ कब आयी ???
जब­ जब तमुने चाँद को देखा .,
जब भी तमुने शमा जलायी ,..
जब­ जब तमु बारिश में भीगी,. 
और तब भी जब भीग न पायी .,,
याद तुम्हे भी मेरी आयी ,.
जब­ जब तमु को माँ ने डाँटा,. 
और तब भी जब आखँ भर आयी .,
जब­ जब तमु उलझन में थी., 
और जब भी तमुको नींद न आयी .,
सबुह भी आयी,. शाम भी आयी,.
जब­ जब तमु ने चाय बनायी,.
याद तुम्हे भी मेरी  आयी ,
सारे जग से बात छुपायी,,
पर खदु को फुसला न पायी
तमु भी मझे भलू न पायी,,..
पता तुम्हे उस खत से मिला,�
जो गंगा में तुम बहा न पायी
और फिर ये चिट्ठी भिजवाई 
                                                          ..जीत #गंगा
सनुो मझुे तुम फिर याद आयी .,
शाम ढले इक चिट्ठी आयी .…
पता तुम्हे मालमू न था,.
फिर मझु तक कैसे पहुँचायी ,,,
सनुो मझुे तुम फिर याद आयी ..
खत में मेरा नाम लिखा है.,
साथ में ये पगैाम लिखा है…
तमु भी मझुे भलू न पायी ,.
याद तुम्हे भी मेरीआयी ., 
आगे तमु कुछ यूँ लिखती हो.,
तुम्हे पता  है कब­ कब आयी ???
जब­ जब तमुने चाँद को देखा .,
जब भी तमुने शमा जलायी ,..
जब­ जब तमु बारिश में भीगी,. 
और तब भी जब भीग न पायी .,,
याद तुम्हे भी मेरी आयी ,.
जब­ जब तमु को माँ ने डाँटा,. 
और तब भी जब आखँ भर आयी .,
जब­ जब तमु उलझन में थी., 
और जब भी तमुको नींद न आयी .,
सबुह भी आयी,. शाम भी आयी,.
जब­ जब तमु ने चाय बनायी,.
याद तुम्हे भी मेरी  आयी ,
सारे जग से बात छुपायी,,
पर खदु को फुसला न पायी
तमु भी मझे भलू न पायी,,..
पता तुम्हे उस खत से मिला,�
जो गंगा में तुम बहा न पायी
और फिर ये चिट्ठी भिजवाई 
                                                          ..जीत #गंगा