"अकेलेपन का साया" (रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) अकेलेपन का साया देखो सभी पर छाया कहीं प्यार में है शर्तें कहीं शर्त ही छलावा। बांधी हुई है डोरी किसी और ही नियम से