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#FourlinePoetry क्या गजब का अंधभक्ति है ऐ इंसान हज

#FourlinePoetry क्या गजब का अंधभक्ति है ऐ इंसान हजारों पाप करता है,
फिर कैसे शुद्ध हो जाता है तू छड़भर में ही गंगा में डुबकी लगाकर!
कवि हूं लिखना मेरी मजबूरी है क्यों कि ये अंतरात्मा का आवाज है
मै रख नहीं सकता देर तक अपनी भावनाओ को छुपा कर।।।

©Raj Mani Chaurasia गजब का अंधभक्ति है

#fourlinepoetry
#FourlinePoetry क्या गजब का अंधभक्ति है ऐ इंसान हजारों पाप करता है,
फिर कैसे शुद्ध हो जाता है तू छड़भर में ही गंगा में डुबकी लगाकर!
कवि हूं लिखना मेरी मजबूरी है क्यों कि ये अंतरात्मा का आवाज है
मै रख नहीं सकता देर तक अपनी भावनाओ को छुपा कर।।।

©Raj Mani Chaurasia गजब का अंधभक्ति है

#fourlinepoetry