तपती धरा झुलसती राहें, तपती धरा नैनों में अश्क़, संकट भरा। दूर बहुत जाना हैं हमकों मुश्किल से छाव मिला हमकों। जतन करूं नित दिन ही तुमसे प्रभु आजाओ विनय तुमसे। नाकाम न हो मेरी विनती आपका ही मैं सदा सुनती। अर्पणा दुबे अनूपपुर। ©arpana dubey #k @aaa