*मेरा बचपन...* *एक ऐसा अहसास है जिसमे डूब जाने की ख्वाहिश उम्र के हर मोड़ पर रहती है,* *थाम लूं इस बचपन को मैं अपनी बाहों में,* *ऐसा बचपन कभी मेरा भी था, अब मन करता है कि एक बार फिर से,* *मैं इसी बचपन में खो जाऊं जहा मुझे न बीते हुए कल की फिक्र थी और न ही आने वाले कल की चिंता,मैं तो बस उस अनमोल बचपन को जिए जा रहा था,* *मेरी उन प्यारी प्यारी नटखट शैतानियों पर भी प्यार आता था मेरी मां को,* *मेरी दादी जहां मालिश करती नजर आती है आज भी मुझे,* *मेरे पिता खिलौने नीत नए लेकर आते थे रोज,* *मिलकर खेला करते थे हम सब बच्चे होकर एक,* *दादा जी रोज सवेरे रहते पास, जिंदगी जीने की शिक्षा देते रहते थे सब मिलकर साथ,* *मेरे चाचा भी संग मेरे बच्चे बन जाते थे,मैं जो रोने लग जाऊं कभी तो फट से मुझे मनाते थे,* *मेरी बुआ मुझे जिंदगी जीने की राह दिखाती थी,* *जब भी मैं थक हार जाता था एक वो ही तो मुझे समझाती थी,* *धीरे धीरे जब मै बड़ा हुआ,* *स्कूल जाने की शुरू मेरी तैयारी हुई,मेरा बचपन ऐसा था कि मैं कभी स्कूल जाने में पीछे नहीं रहा,* *क्या क्या बतलाऊं मैं अपने बचपन की यादों को ,* *जब लिखने बैठ जाऊं इन्हे मैं तो, मेरे लफ्ज़ ही कम पढ़ जायेंगे,* *लेकिन फिर भी मैं संक्षेप में कहता हु मै,* *सुबह उठकर वो गली मुहल्ले में सब बच्चों का साथ मिलकर खेलना,* *आज बहुत याद आती है उन खेलों की भी जिनको साथ मिलकर खेलते खेलते ये भी याद नही रहता था की तैयार होकर स्कूल भी जाना है,* *और फिर शाम को स्कूल से वापस आकर बस्ता साइड में रखकर उसी गली में चले जाते थे,, जहा पर हमारे खेलों में बांटी_भंवरा , पिट्टूल , रेस-टिप, डंडा कोलाल, नदी-पहाड़, चोर-पुलिस, अमृतविस, पिंजौला दसबीस और न जाने कितने खेल गिनाऊं मैं,* *अब वैसा बचपन कही नजर न आता है,* *क्योंकि हमारे उस बचपन में मोबाइल नाम की कोई बीमारी ना थी,* *अब और याद करूं मैं उस बचपन की जहां हमारे स्कूलों में 12बजे रेडियो कार्यक्रम चलता था,* *हमारे देवांगन सर रेडियो लेकर आते थे, और सबको गीत याद कराते थे, उस गीत के बोल आज भी जुबान पर है मेरे...* *हे राजू हे चंदा कम लेट अस गो टू स्कूल..,* *सभी को बराबर शिक्षा का हक मिलता था , किसी से भेदभाव न थी अपने उस बचपन में,* *हमारे प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर सर अपने साथ रुल लेकर आते थे, और सभी बच्चों को जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाते थे,* *वो बचपन बड़ा सुहाना था,* *जहा से मेरे और मेरे यार HR की दोस्ती भी शुरू हुई थी,* *और वो दोस्ती आज भी बरकरार है मेरे यार से,* *कैसे भूलूं मैं उस बचपन को जिनमे न ज्यादा पैसों की जरूरत थी, और न ही हमारे पास समय की कोई कमी थी, हर एक पल को दिल खोलकर जीते थे,* *जब साथ होते थे सारे दोस्त तब खुशियों कि बारिश होती थी,* *हा और बारिश से याद आया बचपन में हम सभी का वो बारिश में भीगना, लेकिन घर जाकर मां की डांट खाना, फिर अचानक रूठ जाने पर मेरी मां का मुझे मनाना,* *बहुत याद आते है यार आज वो सभी पल,बचपन की वो मस्तियां, वो मासूम शैतानिया, वो नादानियां गुस्ताखियां और बहुत कुछ..!* *ऐसा था बचपन मेरा..!!* *#वो_सुनहरे_पल* *#याद_आते_है_आज_भी_हरपल* *Writer___* ©Bablu Sahu #vo_suhane_din #vo_purane_din #Vo_mere_pass_aaye #cactus