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इन रास्तों पर जब मैं निकला था तब ये सोच के नही नि

इन रास्तों पर जब मैं निकला था 
तब ये सोच के नही निकला था 
की मंजिल कहां मिलेगी ,
बस ये सोच के निकला था की
मंजिल आज नही तो कल जरूर
मिलेगी और यही यकीन मुझे 
इन रास्तों पर  चलने का हौंसला
दे रहा है ।।।

©Anshul srivastava
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