अपनों की फ़िक्र में हर लाचारीं से होकर गुज़रें, तिलिस्म-ए-ज़हाँ में हर अय्यारी से होकर गुज़रें। ये ख़्वाब ये ज़ज़्बात ये ख़्वाहिशें ये रिश्तों की रवायत, निभाकर किरदार इंसानी हर फ़नकारी से होकर गुज़रें। #फ़िकर_अपनों_की*_team_alfaz #new_challenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group *Theme- *फ़िकर अपनों की* Any writer can write anything but *remember the rule*