जलती धरती मन मेरा , घनी बदली ये तन तेरा ।। बरस जा तु इक बार मुझपर , निर्झर बना दे जीवन मेरा ।। काया तेरी इतनी निर्मल , तुझको पाकर कृतज्ञ हुआ मैं ।। न तो अब रास्ते याद हैं, न ही मंज़िल, बस यही आलम है मेरा ।। __Kanhaiya Kohar. © #बदली #निर्झर #कृतज्ञ