ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया किसी को मिले छप्पन भोग रसमलाई कोई भूख से ना मिले उसको एक रोटी किसी के पास मंजिलों के मकान कोई तरसे जीवन भर ना मिले उसको झोपड़ी प्रभु तेरी माया अपरंपार किसकी नैया लगा दे पार आज तक कोई क्या इसको समझ पाया क्योंकि सब रहती प्रभु की माया। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_286 👉 ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया लोकोक्ति का अर्थ ---- ईश्वर की बातें विचित्र हैं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।