जन्मभूमि हमारी हमको है, जान से भी ज्यादा प्यारी। वीर सपूतों ने अपना लहू देकर, बनाई इसको हमारी। पावन है कण-कण इसका, हुए राम कृष्ण अवतारी। जन्मभूमि है अस्तित्व हमारा, यही पहचान है हमारी। गंगा यमुना सी नदियां यहां पर, संगम की नगरी प्यारी। ऋषि-मुनियों ने ज्ञान दिया, वेद पुराणों की भाषा न्यारी। वसुदेव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाती, सभ्यता हमको हमारी स्वर्णिम है इसका इतिहास, अतिथियों के लिए सत्कारी। भारत को माता गर्व से कहते, जननी जन्मभूमि है हमारी। गौरव दुनियां में सबसे ऊंचा है, हरदम जाऊं मैं बलिहारी 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०४ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।