तुम्हें इल्म़ भी है क्या मोहब्ब़त के राज़ का या ऐसे ही महज़ दिल बहलाने चले आए कोई तजुर्ब़ा तो होगा नज़रों की सफाई का या ऐसे ही बे-तरकीब दिल चुराने चले आए मालूम तो होगा तुम्हें वस्ल-ए-रूह के रिवाज़ का कैसे तुम इक जिस्म से जिस्म मिलाने चले आए थोड़ा सब्र तो करते तुम फ़क़त शाम ढलने का भरी दोपहर छलकाने अंखियों से जाम चले आए मुझसे मिलन की तड़प ने तुम्हें यूँ बेकरार किया तेरे आगोश में भरने मुझे तुम यहाँ तक चले आए चलो आ ही गये तो बैठो चंद लम्हात् बात कर लें इसीलिए तो तुम फ़ासले को तय करक चले आए #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #Humsafar #गज़ल #nojoto #nojothindi #competetion