रिश्तों का मायाजाल -------------------------- माया ईश्वर की शक्ति है।बन्धन का कारण है।जीवन के हर आयाम को पूरा करने के लिए माया ही सहयोग करती है।हम सभी माया प्राप्त करने के लिए ही सुबह उठते हैं।माया प्राप्त करने के लिए ही प्रयत्न करते है।उम्र भर माया की परिधि में घिरे रहते है।संसार और बाज़ार में ज़्यादा अंतर नहीं है।वहाँ वस्तुओं का व्यापार है यहाँ व्यवहार का।अफ़सोस कि हम प्यार का भी व्यापार करने लग जाते हैं।यह रिश्तों के रूप में फलता फूलता है।एक दूसरे के लिए ख़ास होने लगते हैं।कभी ठेस लगती है तो उदास होने लगते हैं।कभी कभी ऐसा क्षण भी आता है कि हम निपट अकेले रह जाते हैं तब सोचते हैं कि यह रिश्तों का मायाजाल है जो हमें दुःख दे रहा है।हम छटपटाते हैं।इसकी जंजीरें तोड़कर बाहर निकलना चाहते हैं।सिद्धार्थ और वर्धमान के साथ ही मूलशंकर जी के जीवन में यही घटित हुआ उन्होंने माया की परिधि को तोड़ा और वे बुद्ध एवं महावीर के साथ ही स्वामीदयानन्द के रूप में समाज के सामने आए। रिश्तों का मायाजाल -------------------------- माया ईश्वर की शक्ति है।बन्धन का कारण है।जीवन के हर आयाम को पूरा करने के लिए माया ही सहयोग करती है।हम सभी माया प्राप्त करने के लिए ही सुबह उठते हैं।माया प्राप्त करने के लिए ही प्रयत्न करते है।उम्र भर माया की परिधि में घिरे रहते है।संसार और बाज़ार में ज़्यादा अंतर नहीं है।वहाँ वस्तुओं का व्यापार है यहाँ व्यवहार का।अफ़सोस कि हम प्यार का भी व्यापार करने लग जाते हैं।यह रिश्तों के रूप में फलता फूलता है।एक दूसरे के लिए ख़ास होने लगते हैं।कभी ठेस लगती है तो उदास होने लगते हैं।कभी कभी ऐसा क्षण भी आता है कि हम निपट अकेले रह जाते हैं तब सोचते हैं कि यह रिश्तों का मायाजाल है जो हमें दुःख दे रहा है।हम छटपटाते हैं।इसकी जंजीरें तोड़कर बाहर निकलना चाहते हैं।सिद्धार्थ और वर्धमान के साथ ही मूलशंकर जी के जीवन में यही घटित हुआ उन्होंने माया की परिधि को तोड़ा और वे बुद्ध एवं महावीर के साथ ही स्वामीदयानन्द के रूप में समाज के सामने आए। ©दिव्यांशु पाठक #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkरिश्तोंकामायाजाल #पाठकपुराण #yqdidi #yqhindi