घायल है स्वाभिमान मुझ बेक़सूर का हुआ सरेआम अपमान, क्या करूँ, छिन गया सालों में कमाया हुआ सम्मान, क्या करूँ, यूँ भी मेरी ये ज़िन्दगी मुफ़लिसी में ही गुज़र रही थी, था एकमात्र सहारा, छिना वो आत्मसम्मान, क्या करूँ, कई लोगों की लगी थी भीड़, जैसे लगा हो कोई मेला, मददगार हुआ न उतनों में से एक भी इंसान, क्या करूँ, क़ानून को बना हथियार, क़ानून ही तोड़ा गया उस रोज़, फ़र्जी ये न्याय व्यवस्था, झुठी है इसकी ये शान, क्या करूँ, ज़ार-ज़ार होके बिखरा वज़ूद मेरा, मेरे ही आँखों के सामने, तन के चोट तो भर जाएँगे, घायल है स्वाभिमान, क्या करूँ? IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla घायल है स्वाभिमान..! . . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment