बारिश अभी हारा नहीं ये जिन्दगी.. बस रूका हूँ.. तेरी किस्मत बनाने.. इतनी कडी़ मेहनत में लगा हूँ.. चाहे तू कितनी भी परिक्षा ले ले मेरी.. मै भी भोले का भक्त हूँ जो.. परिश्रम करने लगा हूँ.. क्योंकि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती.. हवाओ के झौंको से ही नौका पार नहीं होती.. हम भी वह पर्वत हैं जहां से हवा पार नहीं होती। संघर्ष की शायरी