व्यर्थ था जीवन मेरा जो मैंने लोगों पे गंवाया है जब भी थे , मुश्किलों के घने बादल मुझपे मैंने हमेशा खुद को अकेला पाया है अगर सोच लेता खुद के बारे में अगर सोच लेता खुद के बारे में तो शायद इतना ना भटकता जितना इन रास्तों ने , मुझे दर-दर भटकाया है व्यर्थ था जीवन मेरा ...........!! ©RAHUL SINGH #Life #was #in #vain #Some #unique #relationships that #remained #unique